किस्मतोने न जाने कितने घर आबाद किये
न जाने कितने बरबाद...
पता नहि ये किस्मत चीज किसने बनाई...
खुदा है यह...या फिर है उसकी खुदाई...
हमने तो जब भी एक ख्वाब देखा...
बस्स एक ठोकर लगी ...
और तेरी याद आई...
अरमानो को रौदंना क्या तेरी फितरत है?
सपनो को मसलना क्या तेरी आदत है?
हमको कर देना बरबाद, यहि क्या तेरी हसरत है?
सबपर मेहरबान .. बस्स हमसे अंजान ...
तु भी कैसी हमारी किस्मत है....?
दिल करे तो एक दिन मुडकर देखना...
दिये है कितने घाव तुम बताना...
एक दिन तो हो जायेगा ईश्क तुम्हे भी...
तुम भी अपनी किस्मत कभी आजमाकर देखना...
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